मुलाकात कुछ शब्दो से, जिनको मिला कर बनी है कुछ मालाये जो सजाती है कभी मेरे विचारो के रुप को, सवाँरती है अर्थ को...
posted by Vikas Pundreek @ 1:14 AM 3 comments
पुण्डरीक जी,जो आपने हिन्दी में लिखा है उसे सीधे ही ब्लॉग पर चिपका सकते हैं.चित्र के रूप में लगाने की आवश्यकता नहीं है.कोई दिक्कत हो तो चिट्ठाकार मित्र मंडली आपके सहयोग के लिए तत्पर हैं.
pighalti laal roshni mein, gum ho jata hun.. nice one!
रचना अच्छी है, रवि भाई की सलाह अमल मे लायें.समीर लाल
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3 Comments:
पुण्डरीक जी,
जो आपने हिन्दी में लिखा है उसे सीधे ही ब्लॉग पर चिपका सकते हैं.
चित्र के रूप में लगाने की आवश्यकता नहीं है.
कोई दिक्कत हो तो चिट्ठाकार मित्र मंडली आपके सहयोग के लिए तत्पर हैं.
pighalti laal roshni mein, gum ho jata hun.. nice one!
रचना अच्छी है, रवि भाई की सलाह अमल मे लायें.
समीर लाल
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