Tuesday, May 09, 2006

गुम

3 Comments:

At 3:55 AM, Blogger रवि रतलामी said...

पुण्डरीक जी,

जो आपने हिन्दी में लिखा है उसे सीधे ही ब्लॉग पर चिपका सकते हैं.

चित्र के रूप में लगाने की आवश्यकता नहीं है.

कोई दिक्कत हो तो चिट्ठाकार मित्र मंडली आपके सहयोग के लिए तत्पर हैं.

 
At 5:49 AM, Blogger Nutan Singh said...

pighalti laal roshni mein, gum ho jata hun.. nice one!

 
At 5:56 AM, Blogger Udan Tashtari said...

रचना अच्छी है, रवि भाई की सलाह अमल मे लायें.

समीर लाल

 

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